स्वास्थ्य व पर्यावरणीय स्वच्छता जैसे मूलभूत मुद्दे पर संस्था अपने शुरूआती दिनों से कार्यरत है। क्योंकि हमारा मानना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति ही अपनी सभी जिम्मेदारियां भलीभाॅंति पूर्ण कर सकता है साथ ही स्वस्थ रहना व्यक्ति का मूल अधिकार है, चूंकि हम इसे मूलभूत जरूरत व अधिकार मानते हैं। अतः हम संस्था द्वारा चलाये जा रहे सभी परियोजनाओं में इस आयाम को समावेशित करते हैं। इस जरूरत व अधिकारगत सोच को ध्यान में रखते हुए हम एक ऐसे स्वस्थ्य समाज को बनाने के लिए प्रयासरत हैं जहाँ पर लोगों में स्वास्थ्य सम्बन्धित जानकारी व जागरूकता का स्तर इतना बढ़ जाये कि लोग बीमारियों के बचाव के तमाम सारे उपाय पूर्ण सजगता के साथ करें, और जब कभी उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाये तो वे प्राथमिक उपचार हेतु बाह्य स्रोतों यथा, अस्पताल, प्राईवेट डाक्टर आदि पर निर्भर न रहकर स्वयं उसका प्रबन्धन कर सकें।
स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पर्यावरण से जुड़े हमारे कार्य
संस्था द्वारा स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य सेें वर्ष 1996 से 2015 तक 3502 शौचालय निर्माण किया गया जिनमें से 8 ग्राम पंचायतों को निर्मल ग्राम पुरस्कार प्राप्त हुआ। स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत 2016 से 2018 के बीच विकासखण्ड गंगोलीहाट के 117 ग्राम पंचायतों में सघन अभियान चलाकर 4097 शौचालयों का निर्माण किया गया। संस्था द्वारा कुल 7990 २ाौचालयों के निर्माण के लिए तकनीकी सहायता के साथ-साथ आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया गया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हिमालयन ग्राम विकास समिति द्वारा खुले में २ाौच की प्रथा से मुक्ति दिलाने में अपनी सामर्थ्य से अधिक योगदान दिया है क्योकि हमारा कार्यक्षेत्र अत्यन्त दुर्गम, सीमान्त पर्वतीय क्षेत्र है।
कोविड राहत कार्य
तीन क्वारेंटाइन सेंटरों में शौचालय निर्माण के साथ-साथ कोविड-19 के प्रति जागरूकता एवं रोकथाम अभियान चलाया गया। इसके अतिरिक्त, बोर्ड परीक्षाओं के दौरान राहत प्रयासों के लिए 21 राजकीय इंटर कॉलेजो को सहायता प्रदान की गई।
कोविड-19 के लिए जागरूकता सृजन और प्रवासी युवाओं के बीच आजीविका को बढ़ावा देना
स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के प्रयास में, 200 परिवारों को डेयरी, बकरी पालन, मुर्गी पालन और सब्जी उत्पादन के लिए सहायता प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त, विभिन्न गांवों में स्वच्छता की पहल की गई, जिसके बाद जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया। 50 से ज्यादा गांवों में, हाथ धोने और सामाजिक दूरी जैसी अच्छी स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया।
आजीविका और शिक्षा पर ध्यान देने के साथ कोविड प्रभावित कमजोर समूहों का एकीकृत विकास
इस दौरान छह गांवों के कुल 250 छात्रों को शिक्षा सेवाएं दी गई इसके अतिरिक्त, गंगोलीहाट और बेरीनाग क्षेत्रों में उपकरण और एम्बुलेंस रखरखाव सेवाओं के सहयोग से 40 प्रवासी परिवार अपने स्वयं के उद्यम स्थापित करने में सक्षम हुए।
कोविड टीकाकरण अभियान परियोजना
सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) क्षेत्र के कुल 215 गांवों का पूरी तरह से सर्वेक्षण और टीकाकरण किया गया है, जिससे 100 प्रतिशत की कवरेज दर हासिल हुई है।
सरार एव हैसा अभ्यास
समुदाय के लोगों को सरार एव हैसा (हैसा – हाईजीन एण्ड एनवायरमेन्टल सेनिटेसन अवेयरनेस) अभ्यास के माध्यम से रोगों के संक्रमण, दूषित जल से होने वाली बीमारियों, घर आंगन एव रास्ते की सर्फाइ, जल स्रोतों की सफाई के बारे में जानकारी देते हुए शुद्ध पेयजल का उपयोग करने, खान – पान की चीज़ो को ढक कर रखने एवं पर्यावरणीय स्वच्छता बनाये रखने, शौचालय का उपयोग करने, घर के आस-पास पानी एकत्रित नहीं होने देने तथा खुले में मल त्याग से होने वाले संक्रमण के प्रति जागरूक किया जाता है।