हिमालयन ग्राम विकास समिति
हिमालयन ग्राम विकास समिति एक अलाभकारी, गैर-राजनैतिक सामाजिक संस्था है। संस्था की शुरुआत 1990 में हुई थी। संस्था का पंजीकरण 9 मई 1992 को हुआ, संस्था समाज के कमजोर एवं पिछड़े वर्ग के लोगों की सामाजिक व आर्थिक बेहतरी तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण व संवर्धन हेतु संघर्षरत है। हमारा यह मानना है कि लोग विकास कार्यक्रमों का समुचित लाभ नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि संचार साधनों एवं लोगों में जानकारी का अभाव, सरकारी विभागों की दूर दराज के क्षेत्रों में सुलभता एवं कार्यक्रमों की पहुंच जैसे घटक इस स्थिति को बदलने नहीं दे रहे हैं जिसके चलते लोगों में भी इस स्थिति को बदलने के प्रति न तो कोई सोच दिख रही है न इस पर कोई मन्थन। इस परिदृश्य को बदलने की गम्भीर आवश्यकता को समझते हुए संस्था ने ’’जाग-रे-पहाड़’’ अभियान के साथ इस दिशा में काम शुुरू किया। काम की शुरूआत महिलाओं के साथ व्यवहारिक साक्षरता कार्यक्रम के साथ हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा मानना है कि एक जानकार एवं जागरूक व्यक्ति ही परिवर्तन की मांग करता है, सामाजिक परिवर्तन के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा बनता है और अपने परिवेश में उसकी शुरूआत करता है। क्यो कि महिलाएं ग्रामीण पहाड़ी अंचल की रीढ़ हैं अतः उन्हें समझना-समझाना और साथ लेकर चलना न केवल व्यवहारिक रूप से बल्कि रणनीतिक रूप से भी समय की मांग है। संस्था ने शुरू से ही महिलाओं को विकास कार्यो में केन्द्रीय स्थान दिया है जिसके परिणाम स्वरूप आज ये महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र के विकास कार्यों में निर्णय-कर्ता की भूमिका बखूबी निभा रही हैं। लोगों द्वारा निभाई जा रही भूमिकायें व रूचियां भी निरन्तर बनी रहे, साथ ही किए जा रहे कार्यों का रखरखाव व प्रबन्धन स्वयं करे इसके लिये विभिन्न कार्यो में समुदाय से अंशदान श्रमदान लिए जाने का आयाम जोड़ा गया है।
संस्था लोगों को पूर्ण उत्तरदायित्व देते हुए समानता, पारदर्शिता, जबाबदेही, सहभागिता, जनतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया के मूल्यों के साथ कार्य कर रही है। संस्था द्वारा परम्परागत ज्ञान और कौशल को भी पर्याप्त सम्मान और महत्व देने की नीति अपनायी गयी है।
विजन
सामाजिक समता, जेण्डर एवं पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए समुदाय आधारित सत्त विकास की प्रक्रिया को बढ़ावा देना।
उद्देश्य
- समाज में समानता व सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करना।
- मानव संसाधन के अधिकतम रचनात्मक उपयोग के लिए लोगों के ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि करना।
- शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिये कार्य करना।
- कमजोर एवं शोषित वर्ग के उत्थान के लिए सामाजिक वातावरण का निर्माण करना।
- रूढ़िवादिता एवं अन्धविश्वासों के खिलाफ जागृति पैदा करना।
- लोक संस्कृति व परम्परागत ज्ञान को संरक्षित करना।
- पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से स्व-शासन की धारणा को मजबूती प्रदान करना।
- विकास कार्यो के नियोजन में पारिस्थितिकी संतुलन के प्रति सवेंदनशीलता बढ़ाना।
- आजीविका सुधार की गतिविधियों को बढ़ाकर गरीबी निवारण के लिए प्रयास करना।
- शुद्ध जलापूर्ति एवं स्वच्छता सुविधाओं को बढ़ाकर रोगों की दर में कमी लाना।
हमारी रणनीति
संस्था अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये जेण्डर समानता पर जोर देकर मानवीय संसाधनों की क्षमता बढा़कर उन्हें स्वयं के विकास हेतु आगे आने के लिए उत्प्रेरित करती है। संस्था समुदाय के बीच उनकी समस्याओं को बहस का मुद्दा बनाकर, समस्या के कारणों एवं निदान के उपायों को उजागर कर समुदाय के माध्यम से ही उस समस्या के समाधान करवाने में विश्वास करती है। संस्था समुदाय के बीच इन मुद्दों को लेकर सवेंदनशीलता बढ़ाने के लिए पी.आर.ए./सरार एवं नुक्कड़ नाटकों का उपयोग करती है। संस्था की यह सोच रही है कि प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रबन्धन करते हुए लोगों की पेयजल, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य तथा आजीविका सुधार के कार्यों को समग्र रूप में आगे बढ़ाकर लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकता है।
मुख्यरूप से हम निम्न कदमोें को उठाकर काम करते हैं
- संस्था एवं समुदाय के बीच मुद्दों की समझ विकसित करना।
- कार्यकर्ता एवं समुदाय की क्षमता बढ़ाना।
- नियोजन, क्रियान्वयन एवं रख-रखाव के प्रति समुदाय को उत्तरदायी बनाना।
- हालांकि लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निम्न प्रक्रियायें हमारे रास्ते को कठिन तो जरूर बनाती हैं लेकिन अन्त में उतने ही सुखद् परिणाम सामने आते हैं:
समुदाय को समस्या के समाधान हेतु तैयार करना और उसमें जन भागीदारी सुनिश्चित करना।
लोगों में सामाजिक विश्लेषण की प्रक्रिया को बढ़ावा देना।
हाशिए पर रहने वाले समूह, महिला, दलित व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना।
पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।